Story
Moral Story For Kids In Hindi – Read Stories In Hindi
1.> शेर और खरगोश की कहानी – Story in Hindi
Story in hindi: एक बार जंगल में एक शेर और एक खरगोश रहते थे। शेर बहुत ही शक्तिशाली था और उसके पास संसार का सबसे तेज़ दौड़ने का दम था। वह खरगोश को अपनी बुद्धिमानी से पीछे छोड़ता था जब भी दोनों के बीच दौड़ लगाई जाती थी। खरगोश बहुत ही चतुर था और उसे शेर के असमंजस में फंसाने के लिए अनेक युक्तियाँ आती थीं।
एक दिन, खरगोश ने शेर से कहा, “आप तो बहुत तेज़ दौड़ते हैं, लेकिन मैं भी बहुत तेज़ हूँ। अगर हम एक संयुक्त दौड़ लगाएँ, तो दुनिया की कोई भी चीज़ हमें पीछे छोड़ नहीं सकती।” शेर इस विचार को सुनकर खुश हुआ और दोनों ने संयुक्त दौड़ लगाई। खरगोश ने शेर के कंधे पर बैठकर उसे निर्देश दिए और उसे अपनी चतुराई से दूसरी ओर भेजता रहा।
लेकिन अचानक खरगोश शेर के कंधे से उतर गया और वह उससे आगे निकल गया। शेर थक चुका था और उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि खरगोश उसको बहुत ही चतुराई से बेवकूफ बना कर वो जीत गया।
कहानी से सीख : इससे हमें ये पता चलता है की किसी पर भी आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए चाहे वो हमारा कितना भी भरोसेमंद मित्र ही क्यों न हो।
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2.> सफलता की कहानी – Safalta ki kahaniya
Story in hindi : एक बार एक युवक ने एक सफल Business man से मिलने का फैसला किया। उसने सोचा कि यदि उसे सीख लेनी है कि सफल होने के लिए क्या करना होता है, तो वह इस व्यवसायी से मिलने जाना चाहता है।
युवक ने उस व्यवसायी (Business man) के सहायक से मिलने का अनुरोध किया। उसे एक मीटिंग के लिए बुलाया गया था। जब उसने उस व्यवसायी से मिला, तो उसने उससे कुछ सुझाव मांगे।व्यवसायी ने युवक को कुछ बेहद मूल्यवान बातें सीखाईं। उनमें से कुछ बातें यह थीं कि सफलता पाने के लिए व्यक्ति को सफलता के लिए नहीं बल्कि उससे पहले कड़ी मेहनत करने की जरूरत होती है। सफलता का मतलब अधिकतम मेहनत करना होता है और इससे नहीं बचा जा सकता है।
उस व्यवसायी ने अपने जीवन के सफलता के रहस्यों को साझा किया और उसे सलाह दी कि अपने लक्ष्य की ओर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उसने यह भी बताया कि सफलता हमेशा एक एकल व्यक्ति के वश में नहीं होती है। वे लोग जो अपने मेहनत के दम पर कुछ कर गुजरने की ख़्वाहिश रखते है उन्हें ही सफलता की उचाईयां प्राप्त होती है।
कहानी से सीख : मेहनत करने से ही सफलता मिलती है।
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3.> प्यासे कौवे की कहानी | Pyasa Kauwa Ki Kahani
Story in hindi: प्यासा कौवा एक बहुत ही प्रसिद्ध बच्चों की कहानी है। यह कहानी एक प्यासे कौवे के बारे में है जो पानी की तलाश में था। इस कहानी को हिंदी में दिया गया है:
एक सुनहरी सुबह थी, जब एक कौवा खुली आसमान में उड़ रहा था। उसे खुशी होती थी जब वह आकाश में उड़ता था, लेकिन फिर उसे एक जलोदर पानी के बर्तन से प्यास लगने लगी। वह उस बर्तन में पानी पीने के लिए उड़ा, लेकिन बर्तन बहुत गहरा था और कौवा उसमें नहीं गया सकता था।
फिर कौवा अपने दोस्तों से पूछने लगा कि वह पानी कैसे पिए। सभी कौए उसे अपने-अपने तरीकों से उसकी मदद करने की कोशिश की। कुछ कौए उसे बताते थे कि उसे पत्थर उछालकर पानी निकालना चाहिए, जबकि दूसरे कौए उसे बताते थे कि वह पानी के लिए एक-एक छोटा छेद खोदना चाहिए।
कौवा ने सभी तरीकों का प्रयोग कर लिया, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। उसकी प्यास दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। अंत में वो सोचने लगा की आखिर पानी को कैसे पिया जाये फिर उसने कुछ समय सोचने के बाद एक तरकीब निकाली की क्यों न जलोदर पानी के बर्तन में एक एक कंकर डालना शुरू करू ताकि पानी ऊपर आ जाये फिर उसने कंकर डालना शुरू किया और कुछ टाइम बाद पानी ऊपर की ओर आने लगा। जैसे ही पानी का स्तर ऊपर आया तो कौवे ने अपनी चोंच अंदर डालकर अपनी प्यास को बुझा लिया।
कहानी से सीख : हमें कौवे की कहानी से ये सीखने को मिलता है की हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।
4.> तितली का संघर्ष – Story in Hindi
Story in hindi: एक बार एक आदमी अपने गार्डन मे टहल रहा था और तभी उसकी नज़र एक कोकुन पे पड़ती है।जोउसके गार्डन में था।वह लगातार रोज आता और कोकुन को देखता ।ऐसे ही एक दिन वह घूम रहा था तभी उसने देखा कि कोकून मे से तितली बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह नही निकल पा रही थी। वह उस छेद से निकलने. के लिए बहुत प्रयास की लेकिन वह नही निकल पाई और आखिर मे उसने हार मान ली।
आखिर मे वह आदमी निश्चय करता है की वह उसको कोकून से बाहर निकाल कर ही रहेगा ।उसने एक कैची उठाई और कोकून की जगह को इतना बड़ा कर दिया की वह आसानी से निकल जाए और आखिर में यही हुआ तितली बिना किसी संघर्ष के बाहर निकल जाती है ,पर उसका शरीर सूजा हुआ था ,और पंख सूखे हुए थे।
वो आदमी यह सोच के उसको देखता रहा की समय आने पर ये ठीक हो जाएगा,और उड़ने लगेगा।लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ और तितली कभी भी उड़ नही पाई,और उसने अपनी प्राकृतिक गुण को खो दिया।
दरअसल, प्रकृति ने को कोकून से निकलने की प्रक्रिया को इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि तितली के शरीर में मौजूद तरल पदार्थ उसके पंखों में आसानी से पहुंच सके और वह वह कोकून से बाहर निकलते ही आसानी से उड़ सके।
कहानी से सीख : हम अपने जीवन में आसानी से अपने मंजिल तक पहुंचने की चाह रखते हैं और संघर्ष नहीं करते हैं और बिना संघर्ष के हम अपने उसे काबिलियत को नहीं पाते जितनी हमारी क्षमता होती है, हम एक विकलांग के समान हो जाते हैं जो अपनी मजबूती और अपने गुण को खो देता है। हम अपने जीवन में अपनी एक अलग पहचान संघर्ष करके ही प्राप्त कर सकते हैं।हमें अपने जीवन की विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करना चाहिए ताकि हम अपने जीवन की उड़ान को सदैव बनाए रखें
5.> पादरी और किसान : Story in Hindi
Story in hindi: जोरों की ठंड पड़ रही थी। और एक किसान ठंड से ठिठुर रहा था तभी उसकी नजर पास वाले एक चर्च पर पड़ी। जोकि बंद पड़ा हुआ था। फिर भी किसान ने दरवाजे के पास जाकर जोर से बोला “कि कोई है चर्च में”। तभी अंदर से पादरी की आवाज आई, और वह चर्च के बाहर आया और किसान को देखकर काफी हैरान हो गया, आज ठंड काफी थी और पादरी को लगा कि आज चर्च में कोई नहीं आएगा परंतु वह किसान को देखकर अचंभे में पड़ गया । और पादरी ने किसान से कहा आपके सिवा चर्च में आज कोई नहीं आया है, आज ठंड भी बहुत है इसीलिए आज हम भी प्रार्थना नहीं करते हैं। तो आप अपने घर चले जाओ प्रार्थना कल करेंगे।
पादरी की बात सुनकर किसान बोला कि “मैं रोज यहां कबूतरों को दाना देने आता हूं परंतु किसी भी दिन अगर एक भी कबूतर हो तो मैं उसको भी दाना जरूर खिलाता हूं”।
पादरी किसान की बात सुनकर थोड़ा शर्मिंदा हुआ और मन ही मन भगवान से क्षमा मांगी और प्रार्थना की तैयारियां शुरू कर दी। पादरी ने सभी टेबल और कुर्सियों को साफ किया और हर एक टेबल पर बाइबल ले जाकर रखा और सभी टेबल पर मोमबत्तियां भी जलाई। पूरे विधि विधान के साथ पूजा की। कुछ घंटों बाद प्रार्थना खत्म हुई , और पादरी ने किसान को उसका कर्तव्य याद दिलाने के लिए धन्यवाद दिया।
किसान उसकी बात सुनकर उसको कुछ बोला नहीं और चुपचाप उठकर जाने लगा। तभी पादरी ने उससे पूछा “कि क्या हुआ प्रार्थना में कोई कमी रह गई क्या”? किसान बोला कि “मैं क्या बताऊं पादरी साहब; मैं तो एक साधारण सा किसान हूं। लेकिन जब मैं कबूतरों को दाना डालने जाता हूं ,और अगर एक ही कबूतर आए तो सारे दाने मैं उसी को नहीं दे देता ,मैं उसको उसके अनुसार ही दाने खिलाता हूं। पादरी को एक बार फिर एहसास हुआ कि सिर्फ अपना कर्तव्य निभाना ही जरूरी नहीं है ,बल्कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को उसके अनुसार ढालना भी आवश्यक है।
कहानी से सीख :
पादरी को सिर्फ एक व्यक्ति के अनुसार ही सारी तैयारियां करनी चाहिए थी परंतु उसने सभी व्यक्तियों के अनुसार अपनी तैयारिया की। जो कि अनावश्यक थी। इसलिए व्यक्ति को परिस्थिति के अनुसार ही अपने कार्य को करना चाहिए।
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